देखो भाई देखो
ज़रा इनको भी देखो
विचलित ये मन, हौले से कहे है
ये इंसान नहीं हैं, बस मुखौटे चढ़े हैं
हाथ जोड़े खड़े हैं
खीस निपोरे खड़े हैं
पैर पकड़े खड़े हैं
उलटे लटके खड़े हैं
स्वार्थ में लिप्त खड़े हैं
परमार्थ से तृप्त खड़े हैं
लाभ दिखता जहाँ भी
सेवा में विक्षिप्त खड़े हैं
सामाजिकता से रोगग्रस्त हैं
सबसे बनाये रखने में व्यस्त हैं
सच कहने - सुनने से डरते हैं
हर बात पर हामी भरते हैं
सुख में हिस्सेदार बने हैं
दुःख में सबसे दूर खड़े हैं
बहानों की लंबी सूची लिए
देखो तो कैसे हितैषी बने हैं
विचलित ये मन, हौले से कहे है
ये इंसान नहीं हैं, बस मुखौटे चढ़े हैं
देखो भाई देखो
कोई इनको भी देखो
ख़ुद को भूले खड़े हैं
रीढ़ के बिन पड़े हैं
हाथ जोड़े खड़े हैं
खीस निपोरे खड़े हैं
पैर पकड़े खड़े हैं
उलटे लटके खड़े हैं
देखो भाई देखो...
देखो भाई देखो...
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