ना जाने क्यूँ
ये ज़िन्दगी उदास है
आखिर इस दिल को
किसकी तलाश है
चलते चलते इन
टेढ़े मेढ़े रास्तों पे
अचानक क्यूँ लगा कि
ये तेरी ही आवाज़ है
क्या लाज़मी है मेरा
यूँ मुड़ के देखना
तेरे एहसास को
यूँ खुद में समेटना
या चलते रहना चाहिए
सब नज़र अंदाज़ करके
कभी देखे थे जो सपने
उन्हें आँखों में भरके
ये इश्क भी दोस्तों
बहुत मुश्किल है
हज़ारों ख्वाइशों में दबा
इक नन्हा सा दिल है