Wednesday 29 July 2015

माँ

माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा हृदय कहाँ से लाऊँ 

भोली प्यारी सी तेरी सूरत 
तू ममता करुणा की मूरत  
तेरे आँसू कैसे झुठलाऊं
क्या मैं, तुझको थोड़ा सुख दे पाऊँ?

माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा धैर्य कहाँ से लाऊँ 

ख़ुद जगती पर हमें सुलाती 
भूखी रहकर भी हमें खिलाती
तुझ सा जीवन कैसे जी पाऊँ 
क्या मैं, तेरी परछाईं बन पाऊँ ?

माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा त्याग कहाँ से लाऊँ

प्रसव की पीड़ा तो सह जाती
शिशु रूदन से पर घबराती
तुझ सी कोमलता कैसे पाऊँ
क्या मैं, तेरे आँचल में छुप जाऊँ?

माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा प्रेम कहाँ से लाऊँ 

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