माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा हृदय कहाँ से लाऊँ
भोली प्यारी सी तेरी सूरत
तू ममता करुणा की मूरत
तेरे आँसू कैसे झुठलाऊं
क्या मैं, तुझको थोड़ा सुख दे पाऊँ?
क्या मैं, तुझको थोड़ा सुख दे पाऊँ?
माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा धैर्य कहाँ से लाऊँ
ख़ुद जगती पर हमें सुलाती
भूखी रहकर भी हमें खिलाती
तुझ सा जीवन कैसे जी पाऊँ
तुझ सा जीवन कैसे जी पाऊँ
क्या मैं, तेरी परछाईं बन पाऊँ ?
माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा त्याग कहाँ से लाऊँ
प्रसव की पीड़ा तो सह जाती
शिशु रूदन से पर घबराती
तुझ सी कोमलता कैसे पाऊँ
क्या मैं, तेरे आँचल में छुप जाऊँ?
तुझ सी कोमलता कैसे पाऊँ
क्या मैं, तेरे आँचल में छुप जाऊँ?
माँ तुझको अब क्या बतलाऊँ
तुझ सा प्रेम कहाँ से लाऊँ
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