Wednesday 9 July 2014

मातृत्व

मेरे लल्ला मेरे सोना
हम सब का तुम प्रिय खिलौना
सौम्य सलोना तेरा चेहरा 
करता है इस प्रेम को गहरा
जब से तुम आए जीवन में
बिखरे कितने रंग हैं मन में
तुझसे हँसना तुझसे रोना
लगता है ये स्वप्न सलोना
तेरी यह भोली मुस्कान
लाती है नित नव अरमांन
देर रात को उठ कर तुमने
जब दी एक प्यारी मुस्कान
मानो इस मृत शरीर में 
तुमने फूँक दिए हो प्राण
भरा तेरी किलकरियों से
जब मेरा सूखा आँगन
लगा झूम के इस प्यासे मंन में
फिर से आया सावन
जो प्रेम, मोह, ममता आई है
सब कुछ तुमसे ही पाई है
प्यारे लल्ला भोले लल्ला
तुममे बस्ते मेरे प्राण
ईश्वर रूप बसा है तुममे 
तुम हो मेरे कृष्ण समान
खूब फलो तुम, खूब बढ़ो तुम
बस करना कुछ ऐसा काम
इस धरती से उस अंबर तक
गूँजे एक तेरा ही नाम
ढेर प्रेम आशीष मोह से
देती हूँ इतना वरदान
कुश कुशाग्र कैवल्य प्रियांश तुम
चमको बन मानस महान

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